SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

Shiv chaisa - An Overview

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योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

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जरत सुरासुर भए विहाला ॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

जय जय जय अनंत shiv chalisa lyricsl अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

The uncovered kinds observe the Trayodashi (thirteenth lunar day) fast, They meditate and Shiv chaisa conduct the sacred fireplace ceremony. They observe the Trayodashi rapid regularly, Making sure that their bodies remain totally free from afflictions.

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

शिव आरती

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